अपने पुराने निर्णय से पलटी कांग्रेश

 


 अपने पुराने निर्णय से पलटी कांग्रेश


जब जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया, तो घाटी में अशांति की आशंका के मद्देनजर कर्फ्यू लगा दिया गया। राजनेताओं के राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने पर पाबंदी लगा दी गई। 


जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटा है, कांग्रेस लगातार सरकार का विरोध कर रही है। मगर वह ऊपर से यह भी दिखाने का प्रयास करती रही है कि लोकतंत्र में उसका पूरा भरोसा है। यही वजह है कि जब वहां ब्लाक विकास परिषद यानी बीडीसी के चुनाव की घोषणा हुई तो उसने उसमें हिस्सा लेने का एलान कर दिया। मगर अब उसने इन चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला किया है। उसका तर्क है कि सरकार लगातार उसके नेताओं को नजरबंदी में रखे हुई है और उन पर तरह-तरह की पाबंदियां लगा कर परेशान कर रही है, इसलिए वह बीडीसी चुनावों का बहिष्कार करेगी। उसका कहना है कि [नजरबंदी के चलते उसके नेता चुनाव की अपेक्षित तैयारियां नहीं कर पाए, सरकार ने इरादतन ऐसा किया ताकि उसकी पार्टी चुनाव जीत जाए। गौरतलब है कि जब बीडीसी चुनावों की घोषणा हुई थी, तो कांग्रेस ने पैंथर्स पार्टी के साथ मिल कर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया था। हैरानी की बात है कि तब उसे ऐसा नहीं लगा कि उसके नेता अपेक्षित तैयारी नहीं कर पाए हैं। अगर वास्तव में उसे नजरबंदी पर एतराज था तो वह अपने उस मुद्दे पर अड़ी रहती।