बीजेपी शिवसेना में खींचतान

 


महाराष्ट्र: 1999 में भी ऐसे ही झगड़ती रह गई थी बीजेपी-शिवसेना, पवार ने बना ली थी सरकार


1999 में भाजपा नेता प्रमोद महाजन की महत्वाकांक्ष के कारण बीजेपी सरकार बनाना चाहती थी वहीं शिवसेना का कहना था कि राज्य में भाजपा शिवसेना की वजह से ही जीत पाई है।'


महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम की घोषणा के 13 दिन बाद भी  नई सरकार के गठन को लेकर शिवसेना-भाजपा गठबंधन में आपसी खींचतान जारी है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि दो दशक से भी अधिक समय से गठबंधन में शामिल इन दोनों दलों में इस तरह की खींचतान हुई हो।


इससे पहले 1999 में सरकार बनाने को लेकर शिवसेना और भाजपा में खींचतान देखने को मिल चुकी है। उस समय इन दोनों सहयोगी दलों की खींचतान के बीच नवगठित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली। उस चुनाव में शिवसेना को 69 और भाजपा को 56 सीटें मिली थीं। उस समय भाजपा गोपीनाथ मुंडे को मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी।


दोनों दलों के बीच 23 दिन तक बातचीत की कोशिशें चलती रही थीं। आखिरकार शरद पवार जिन्होंने उस समय कांग्रेस से अलग होकर एनसीपी का गठन किया था, कांग्रेस से हाथ मिला लिया था। कांग्रेस नेता विलासराव देशमुख उस समय मुख्यमंत्री बने थे। 


इसके बाद साल 2004 में फिर से दोनों दलों ने एक साथ चुनाव लड़ने के लिए हाथ मिलाया। इसमें शिवसेना को 62 और भाजपा को 54 सीटें मिली थीं। साल 2009 में राज्य में कांग्रेस-एनसीपी की लहर थी। 20 साल के राज्य के चुनावी इतिहास में पहली बार भाजपा के सीटों की संख्या  46 पहुंच गई।साल 1989 के लोकसभा चुनाव से पहले पहली बार शिवसेना और भाजपा एक साथ आए थे। इन दोनों दलों ने हिंदुत्व के मुद्दे पर एक दूसरे के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था। उस समय भाजपा नेता प्रमोद महाजन और शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे के बीच अच्छे संबंध थे।