मोदी के नजदीकी गौतम अडानी और बाबा रामदेव में कर्ज में डूबी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए लगी होड़,

मोदी के नजदीकी गौतम अडानी और बाबा रामदेव में कर्ज में डूबी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए लगी होड़, अदानी को हवाई अड्डों की खरीदी में लाभ मिला तो रामदेव की पतंजलि मित्तल की सोया कंपनी को खरीदने में आजमा रही जोर, कर्ज में डूबे बैंक भी पतंजलि के साथ.
अदानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी और बाबा रामदेव अपनी नीति में बदलाव के साथ पिछले कुछ सालों से कर्ज में डूबी रुचि सोया तेल कंपनी का अधिग्रहण करने की लड़ाई में शामिल है। दोनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नजदीकी माना जाता है। वही दोनों इस कुप्रबंधन और कर्ज के कारण दीवालिया 12 हजार करोड़ की कंपनी को खरीदने का जोर लगा रहे हैं। अब समस्या यह है कि बाबा रामदेव की पतंजलि दिवालिया कंपनी के अधिग्रहण के लिए भारी बैंक के ऋण चाहती है, तर्क यह था कि पतंजलि को लंदन की मित्तल कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए अब फ्रंट मनी का भुगतान करना है जिसने डूबती एस्सार स्टील को खरीदने के लिए 42,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। 
अंत में बाबा रामदेव के नेतृत्व वाली पतंजलि द्वारा दिवालिया रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले ऋण दाताओं के संघ से ऋण लेने का निर्णय लिया गया। इस दौरान सामने आया कि भारतीय स्टेट बैंक व पंजाब नेशनल बैंक ने पहले से ही रुचि सोया को 2500 करोड़ से अधिक का ऋण दिया है। महीनों की बोली लगाने के बाद न्यायाधिकरण ने पतंजलि को 4350 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी। हालांकि पतंजलि चाहती थी कि बैंक 3200 करोड़ रुपये का फंड दे। वही अब पतंजलि एसबीआई से 1200 करोड़  रुपए,पीएनबी से 700 करोड रुपए,यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 600 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक से 400 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 300 करोड़ रुपये उधार लेगी। इस प्रकार जहां बैंक अपने पुराने खराब ऋण को वापस पाने के लिए और अधिक पैसा खर्च करेंगे, वहीं 12000 करोड रुपए मूल्य की कंपनी को 4350 करोड़ रुपए में बेचा जाएगा, जो की कीमत का सिर्फ 35 प्रतिशत है 
इससे पहले गौतम अडानी को भारतीय विमान प्राधिकरण के स्वामित्व वाले हवाई अड्डों की खरीद में लाभ मिला। पहले बैंकों ने अधिग्रहण के लिए ऋण नहीं दिया था लेकिन अब समय के साथ आरबीआई और आईबीसी दोनों ने मानदंडों को बदल दिया। मोदी सरकार ने इस बदलाव की अनुमति दी।