देश के नए चाणक्य घोषित शरद पवार की एनसीपी पार्टी और कांग्रेस का साथ लेकर मंत्रालय बाट नहीं पा रहे महाराष्ट्र के नए नवेले मुख्यमंत्री उद्धव, मोदी- शाह की पूरी नजरें महाराष्ट्र पर कि वहां गठबंधन की सरकार 6 महीने से ज्यादा नहीं चलने वाली, क्योंकि कई मुद्दों पर इन तीनों सहयोगी दलों में तकरार, मोदी-शाह कर्नाटक का पूरा गणित महाराष्ट्र में लगा रहे हैं जैसे वहां पर कांग्रेस ने अपनी चाणक्य नीति से कर्नाटक में भाजपा की सरकार को रोकने के लिए आनन-फानन में चुनाव नतीजों के तुरंत कुछ ही घंटों में अपना समर्थन देकर कुमार स्वामी को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था और कुछ ही महीनों बाद कुमार स्वामी सार्वजनिक मंच पर रोए भी है और बाद में भाजपा ने इसका फायदा उठाकर अपनी सरकार बना ली, मोदी शाह को पूरा विश्वास है कि कुछ समय बाद उद्धव ठाकरे पछता कर वापस भाजपा के पास आएंगे उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए सप्ताह भर से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और वे भले ही मंत्रालय की छठी मंजिल के कमरा नंबर 601 में बैठने भी लगे हो, पर विभागों के बंटवारे का पेंचोखेम है जो सुलझने का नाम नहीं ले रहा। मंत्रालय के बंटवारे को लेकर तीनों सहयोगी दलों में खींचतान मची है। तीनों सहयोगी दल मलाईदार पद अपने पास रखने चाहते हैं और अधिक से अधिक मंत्रालय चाहते हैं। पहले तीनों में दल 16- 14-12 के फार्मूले पर राजी थे पर कहते हैं अब शरद पवार ने किंचित अपना मन बदल लिया है, जबसे खबरें उनके पक्ष में लगातार चली है कि उन्होंने मोदी-शाह को मात दे दी है और महाराष्ट्र के असली चाणक्य वे ही है तब से वह अब उद्धव ठाकरे पर भारी-भरकम मंत्रालय के लिए दबाव बना रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र 16 से 23 दिसंबर तक चलेगा। उद्धव ठाकरे इसके बाद अपनी कैबिनेट का विस्तार करना चाहते हैं। शरद पवार इसी सप्ताहांत दिल्ली से मुंबई लौटे हैं, अब उद्धव के साथ मंत्रालय में बंटवारे को लेकर उनकी एक अहम बैठक होने वाली है। मोदी-शाह की नजरें भी महाराष्ट्र पर टिकी है, इन द्वय का मानना है कि वहां गठबंधन की सरकार 6 महीने से ज्यादा नहीं चलने वाली क्योंकि कई मुद्दों पर इन तीनों सहयोगी दलों में तकरार है। जैसे शिवसेना नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में है तो कांग्रेसी इसका विरोध कर रही है। भाजपा को लगता है कि यह गठबंधन केवल सरकार बनाने के लिए हुआ है। जो गलती उसने जम्मू कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार बनाकर की थी वहीं भाजपा कर्नाटक मैं हुए घटनाक्रम को देखकर सोचती है कि जिस तरह कांग्रेस ने पिछले साल हुए कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कम सीटें हासिल करने के बाद भाजपा की सरकार को रोकने के लिए आनन-फानन में जेडीएस के कुमार स्वामी को समर्थन देखकर भाजपा की सरकार को रोकने का फैसला कर लिया था। कुमार स्वामी ने कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बना ली थी। यह किसी से छुपा नहीं है कि सरकार बनने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमार स्वामी कई बार सार्वजनिक मंच पर रोते थे ऐसा ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उधव ठाकरे के साथ भी हो सकता है और उन्हें यह पछतावा हो सकता है कि उन्होंने भाजपा का साथ छोड़कर एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाकर बहुत बड़ी गलती की है। मोदी-शाह उसी दिन के इंतजार में है।
उद्धव का संकट